अपने व्वादे पे क्यूँ मुकरे हम , आज भी इतने दिनों के बाद इस बात का ग़म है मुझे
प्यार ही है मुझे और फिर क्यूँ अपने दम पे मुझे ग़म है
जिंदगी में जोह मिला उसको अपना बना लियेया
क्या दिन क्या रात, और एक गुलशन अपने लियेया सजा लिया
क्या पता था के ख़ुशी सिर्फ दो पल की मेहमान है
एक हम ही थे जिसे पता था के बस अब उस एक पल में हे अब जान है।
दिन रात सिर्फ उसी के लियेया जी रहे थे, कभी लफ्ज़ कभी शब्द उसके के लियेया पी रहे थे
अब जाने क्या पता कहाँ पे यह ले जाएगी जिंदगी
एक उम्मीद हे है जिसके सहारे जीयेया जाएगी यह जिंदगी।
शायद कुछ कमी मुझ से हे रह गए होगी
जो के उसको नहीं प् सका यह दिल।
समां भी था , शब्द भी थे और एक आस थी "तू कभी तोह मिल ".....
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